प्रश्न - कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके
क्या कारण हैं?
कथावाचक जब छोटा था तब से ही हरिहर काका उसे बहुत प्यार
करते थे। जब वह बड़े हो गए तो वह हरिहर काका के मित्र बन गए। गाँव में इतनी गहरी
दोस्ती और किसी से नहीं हुई। हरिहर काका उनसे खुल कर बातें करते थे। यही कारण है
कि कथावाचक को उनके एक-एक पल की खबर थी। शायद अपना मित्र
बनाने के लिए काका ने स्वयं ही उसे प्यार से बड़ा किया और इतंजार किया।
प्रश्न - हरिहर
काका को मंहत और भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे?
हरिहर काका को अपने भाइयों और महंत में कोई अतंर नहीं लगा। दोनों एक ही श्रेणी के लगे। उनके भाइयों की पत्नियों ने कुछ दिन तक तो हरिहर काका का ध्यान रखा फिर
बची खुची रोटियाँ दी, नाश्ता नहीं देते थे। बीमारी में कोई पूछने वाला
भी न था। जितना भी उन्हें रखा जा रहा था, उनकी ज़मीन के लिए था। इसी तरह मंहत ने एक दिन तो बड़े प्यार से खातिर की फिर ज़मीन
अपने ठाकुर बाड़ी के नाम करने के लिए कहने लगे। काका के मना करने
पर उन्हें अनेकों यातनाएँ दी। अपहरण करवाया, मुँह में कपड़ा ठूँस कर एक कोठरी में बंद कर दिया, जबरदस्ती अँगूठे का निशान लिया गया तथा उन्हें
मारा पीटा गया। इस तरह दोनों ही केवल ज़मीन जायदाद के लिए
हरिहर काका से व्यवहार रखते थे। अत: उन्हें दोनों एक ही श्रेणी के लगे।
प्रश्न - ठाकुर बाड़ी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के
जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
कहा जाता है गाँव के लोग भोले होते हैं। असल में
गाँव के लोग अंध विश्वासी धर्मभीरु होते हैं। मंदिर जैसे स्थान को पवित्र, निष्कलंक,ज्ञान का प्रतीक मानते हैं। पुजारी, पुरोहित मंहत जैसे जितने भी धर्म के ठेकेदार हैं उन पर अगाध
श्रद्धा रखते हैं। वे चाहे कितने भी पतित, स्वार्थी और नीच हों पर उनका विरोध करते वे डरते
हैं। इसी कारण ठाकुरबाड़ी के प्रति गाँव वालों की अपार श्रद्धा थी। उनका
हर सुख-दुख उससे जुड़ा था।
प्रश्न - अनपढ़
होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। कहानी के आधार पर स्पष्ट
कीजिए।
हरिहर काका अनपढ़ थे फिर भी उन्हें दुनियादारी
की बेहद समझ थी। उनके भाई लोग उनसे ज़बरदस्ती ज़मीन अपने नाम कराने के लिए डराते
थे तो उन्हें गाँव में दिखावा करके ज़मीन हथियाने वालो की याद आती है। काका ने उन्हें दुखी होते देखा
है। इसलिए उन्होंने ठान लिया था चाहे मंहत उकसाए चाहे भाई दिखावा करे वह ज़मीन किसी को भी नहीं
देंगे। एक बार मंहत के उकसाने पर भाइयों के प्रति धोखा नहीं करना चाहते थे परन्तु जब भाइयों ने भी धोखा दिया तो उन्हें समझ में आ गया उनके
प्रति उन्हें कोई प्यार नहीं है। जो प्यार दिखाते हैं वह केवल ज़ायदाद के लिए है।
प्रश्न - हरिहर
काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे। उन्होंने उनके साथ कैसा व्यवहार किया?
मंहत ने हरिहर काका को बहुत प्रलोभन दिए जिससे वह
अपनी ज़मीन जायदाद ठाकुर बाड़ी के नाम कर दे परन्तु काका इस बात के लिए तैयार
नहीं थे। वे सोच रहे थे कि क्या भगवान के लिए अपने भाइयों से धोखा करूँ? यह उन्हें सही भी नहीं लग रहा था। मंहत को यह बात पता लगी तो उसने छल और बल से रात के
समय अकेले दालान में सोते हुए हरिहर काका को उठवा लिया। मंहत ने अपने चेले साधुसंतोके साथ मिलकर उनके हाथ पैर बांध दिए, मुहँ में कपड़ा ठूँस दिया और जबरदस्ती अँगूठे के निशान लिए, उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। जब पुलिस आई तो
स्वयं गुप्त दरवाज़े से भाग गए।
प्रश्न - हरिहर
काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
कहानी के आधार पर गाँव के लोगों को बिना बताए पता चल गया कि हरिहर काका को उनके भाई नहीं
पूछते। इसलिए सुख आराम का प्रलोभन देकर मंहत उन्हें अपने साथ ले गया। भाई मन्नत करके काका को
वापिस ले आते हैं। इस तरह गाँव के लोग दो पक्षों में बँट गए कुछ लोग मंहत की तरफ़ थे जो चाहते थे कि काका अपनी ज़मीन धर्म
के नाम पर ठाकुर बाड़ी को दे दें ताकि उन्हें सुख आराम मिले,मृत्यु के बाद मोक्ष, यश मिले। मंहत ज्ञानी है वह सब कुछ जानता है। लेकिन दूसरे पक्ष
के लोग कहते कि ज़मीन परिवार वालो को दी जाए। उनका कहना था इससे उनके परिवार का
पेट भरेगा।
मंदिर को ज़मीन देना अन्याय होगा। इस तरह दोनों पक्ष अपने-अपने हिसाब से सोच रहे
थे परन्तु हरिहर काका के बारे में कोई नहीं सोच रहा था। इन बातों का एक कारण यह भी
था कि काका विधुर थे और उनके कोई संतान भी नहीं थी। पंद्रह बीघे ज़मीन के लिए इनका लालच स्वाभाविक था।
प्रश्न - कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, "अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते
हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए
तैयार हो जाता है।"
जब काका को असलियत पता चली और उन्हें समझ में आ
गया कि सब लोग उनकी ज़मीन जायदाद के पीछे हैं तो उन्हें वे सभी लोग याद आ गए जिन्होंने परिवार वालों के मोह माया में आकर अपनी ज़मीन
उनके नाम कर दी और मृत्यु तक तिल-तिल करके मरते रहे, दाने-दाने को मोहताज़ हो गए। इसलिए उन्होंने
सोचा कि इस तरह रहने से तो एक बार मरना अच्छा है। जीते जी ज़मीन किसी को भी नहीं
देंगे। ये लोग मुझे एक बार में ही मार दे। अत: लेखक ने कहा कि अज्ञान की स्थिति
में मनुष्य मृत्यु से डरता है परन्तु ज्ञान होने पर मृत्यु वरण को तैयार रहता है।
प्रश्न - समाज
में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
आज समाज में मानवीय मूल्य तथा पारिवारिक मूल्य
धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। ज़्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं, अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से मिलते हैं। अमीर रिश्तेदारों का
सम्मान करते हैं, उनसे
मिलने को आतुर रहते हैं जबकि गरीब रिश्तेदारों से कतराते हैं। केवल स्वार्थ सिद्धि
की अहमियत रह गई है। आए दिन हम अखबारों में समाचार पढ़ते हैं कि ज़मीनजाय़दाद, पैसे जेवर के लिए लोग घिनौने से घिनौना कार्य कर जाते हैं (हत्या अपहरण आदि)।
इसी प्रकार इस कहानी में भी पुलिस न पहुँचती तो परिवार वाले मंहत जी (काका की) हत्या ही कर देते। उन्हें यह अफसोस
रहा कि वे काका को मार नहीं पाए।
प्रश्न - यदि
आपके आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी किस प्रकार मदद करेंगे?
यदि हमारे आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई
हो तो हम उसकी पूरी तरह मदद करने की कोशिश करेंगे। उनसे मिलकर उनके दुख का कारण
पता करेंगे, उन्हें
अहसास दिलाएँगे कि वे अकेले नहीं हैं। सबसे पहले तो यह विश्वास कराएँगे कि सभी व्यक्ति लालची नहीं होते हैं। इस तरह मौन
रह कर दूसरों को मौका न दें बल्कि उल्लास से शेष जीवन बिताएँ। रिश्तेदारों से मिलकर उनके संबंध
सुधारने का प्रयत्न करेंगे।
Baba Ravi das
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