गृहकार्य (नोट-बुक)
प्रश्न-1.
कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन
क्यों महत्वपूर्ण था? (2)
प्रश्न-2.
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का
संकेत देना चाहते थे। (2)
प्रश्न-3.
6 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या
तैयारियाँ की गईं? (2)
प्रश्न-4.
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था? (2)
प्रश्न-5.
'जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान
में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।' यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही
गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ
के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए। (5)
प्रश्न-6.
‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ का संदेश क्या है? (5)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -
1. 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गई?
उत्तर:- 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए कलकत्तावासियों ने अनेक तैयारियाँ की थी जैसे लोगों ने अपने मकानों को खूब सजाया था, शहर के प्रत्येक भाग में राष्ट्रीय झंडे लगाए गए थे, कुछ लोगों ने तो अपने घर और मकानों को ऐसे सजाया था जैसे स्वतंत्रता प्राप्त ही हो गई हो। मोनुमेंट के नीचे शाम को झंडा फहराने और सभा का आयोजन किया गया था ।
2. आज जो बात थी वह निराली थी' - किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- 26 जनवरी का दिन अपने आप में ही निराला था क्योंकि इस दिन को निराला बनाने के लिए कलकत्तावासी हर संभव प्रयास कर रहे थे ।निषेधाज्ञा के बावजूद सैंकड़ों लोग तीन बजे से ही पार्क में पहुँच रहे थे। स्त्रियाँ भी जुलूस में बढ़-चढ़कर भाग ले रही थी। लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूम रहे थे और जगह -जगह राष्ट्रीय झंडे फहरा रहे थे ।
3. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
उत्तर:- पुलिस कमिश्नर के नोटिस में कहा गया कि अमुक-अमुक धारा के अनुसार सभा नहीं हो सकती । यदि आप सभा में भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे । कौंसिल के नोटिस में कहा गया कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी । ऐसा खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी । पुलिस कमिश्नर के नोटिस में जहाँ सरकार अपना भय दिखाकर जनता के ऊपर अपने मनमाने कानूनों को थोप रहीं थीं ,वहीँ पर आम जनता ऐसे कानूनों का उल्लघंन कर अपनी देशभक्ति का परिचय दे रही थी।
4. धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?
उत्तर:- पुलिस की जनता पर लाठियाँ बरसाने, लोगों के घायल होने और सुभाष बाबू की गिरफ्तारी के कारण धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस टूट गया।
5. डॉ. दास गुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेख तो कर ही रहे थे, उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:-डॉ. दास गुप्ता द्वारा लोगों की फोटो खींचने की वजह यह थी कि पूरा देश अंग्रेज़ी सरकार के इस अमानवीय कृत्य को देखे और प्रेरित होकर अंग्रेजों का विरोध करें और देश से अंग्रेजों को बाहर करने में अपना सहयोग दें। समाचार पत्रों में इन्हें छपवाकर सारे देश को इसके बारे में बताया जा सके ।
6. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
उत्तर:- सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की विशेष और बड़ी अहम भूमिका रही थी । स्त्रियों ने अपने-अपने तरीकों से जुलूस निकाला। जानकी देवी और मदालसा बजाज जैसी स्त्रियों ने जुलूस का सफल नेतृत्व किया। झंडोत्सव में पहुँचकर मोनुमेंट की सीढियों पर चढ़कर झंडा फहराकर घोषणा पत्र पढ़ा। करीब 105 स्त्रियों ने पुलिस को अपनी गिरफ्तारी दी और अंग्रेजों के अत्याचार का सामना किया।
7. जुलूस के लाल बाजार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?
उत्तर:- जुलूस के लाल बाज़ार पहुँचते ही पुलिस ने जुलूस पर लाठियाँ बरसाना शुरू कर दिया। सुभाष बाबू को पकड़कर जेल भेज दिया गया। मदालसा बजाज भी पुलिस द्वारा पकड ली गई। इस जुलूस में कई लोग घायल और गिरफ्तार हुए ।
8. 'जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।' यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:- यहाँ पर पुलिस कमिश्नर के द्वारा कानून को भंग करने की बात की गई है - इस कानून के अनुसार किसी भी प्रकार की सभा को आयोजित या उसमें भाग लेने की मनाही थी।
मेरे विचार से यह कानून भंग करना अति आवश्यक था क्योंकि यदि ऐसा न किया जाता तो देश में स्वंतन्त्रता की आग को और बढ़ावा न मिलता। साथ ही अंग्रेजों के कानून को भंग करना उनके लिए खुली चुनौती थी कि यह देश भारतीयों का था, है और रहेगा।
9. बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- मेरे अनुसार यह दिन अपूर्व इसलिए था क्योंकि इससे पहले कलकत्ता में इतने बड़े स्तर पर जुलूस नहीं निकाला गया था और न ही इस प्रकार से सरकार को खुली चुनौती दी गई थी। स्त्रियों का इतनी बड़ी संख्या में भाग लेना और अपनी गिरफ्तारी देना भी इस दिन को अपूर्व बनाता है।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -
10. आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।
उत्तर:- इस पंक्ति का आशय यह है कि इस आंदोलन के पहले यह कहा जाता था कि कलकत्तावासी देश के लिए अधिक कार्य नहीं करते हैं और यह बात यहाँ के निवासियों के लिए एक कलंक के समान थी परन्तु 26 जनवरी 1931 के दिन को यादगार और अपूर्व बनाकर कलकत्तावासियों ने इस कलंक को पूरी तरह से धो दिया।
11. खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले कहीं नहीं की गई थी।
उत्तर:- इस पंक्ति का आशय यह है कि पुलिस कमिश्नर के नोटिस की परवाह न करते हुए कलकत्तावासियों ने अपनी निडरता, साहस, शक्ति और देशभक्ति का अनूठा परिचय दिया था। ऐसा पहली बार हुआ था जब जनता ने सरकार को खुला चैलेंज देकर सभा आयोजित की थी ।
• प्रश्न-अभ्यास (मौखिक)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
12. कलकत्ता वासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर:- कलकत्ता वासियों के किए 26 जनवरी 1931 का दिन इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि पिछले वर्ष गुलाम भारत ने पहली बार इसी दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया था और इस वर्ष कलकत्तावासी इस दिन की वर्षगाँठ मनाने वाले थे ।
13. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?
उत्तर:- सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था।
14. विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:- विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया ,साथ ही उनके साथ आए लोगों को मार-पीटकर उस जगह से हटा दिया गया।
15. लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
उत्तर:- लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजानिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर अपनी देशभक्ति का प्रमाण, राष्ट्रीय झंडे का सम्मान तथा देश की स्वंत्रतता की ओर संकेत देना चाह रहे थे।
16. पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?
उत्तर:- पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को लोगों को स्वतंत्रता दिवस मनाने से रोकने के लिए घेर लिया था। पुलिस चाहती थी कि वहाँ लोग एकत्रित होकर झंडा न फहरा सकें ।
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